मकर संक्रांति पर कविता |
मकर संक्रांति पर कविता
हम भारत में रहते हैं, त्योहारों से जाने जाते है
किसान फसलों की खुशियों को
संक्रांति के रूप में मनाते है
मकर संक्रांति एक पर नाम अनेक
तमिल में है पोंगल नाम,
चार दिवस का इसका काम
भोगी, सूर्य, मट्टू, कन्या पोंगल कहलाये
चावल के पकवान बनाये
भगवान कृष्ण की पूजा करते
सुबह सुबह सब प्रार्थना करते
मकर संक्रांति एक पर नाम अनेक
केरल में मकर विलक्कू कहलाये
सबरीमाला मंदिर देखने जाये
आसमान की ओर सारे मिलकर
मकर ज्योति देखने जाए
मकर संक्रांति एक पर नाम अनेक
कर्नाटक में एलु बिरोधु का
अनुष्ठान आयोजन करते है
सब महिलाये मिलकर इस दिन
एलु बेला व्यंजन खाते और खिलाते है
मकर संक्रांति एक पर नाम अनेक
आंध्रा प्रदेश में संक्राति तीन दिवसीय होती है
पुरानी और बेकार चीजे फेक यहाँ
घर नयी चीजों से सजाते है
मकर संक्रांति एक पर नाम अनेक
गुजरात की तो मत पूछो
धूम मचा उत्तरायण मनाते है
दो दिनों तक यहाँ पतंगे
आकाश में उड़ाते है
मकर संक्रांति एक पर नाम अनेक
पंजाब में माघी उत्सव
तड़के नदी स्नान करते
तिल के तेल दिये जलाकर
श्री मुक्तसर साहिब मेला सजाते है
मकर संक्रांति एक पर नाम
असम में संक्रांति को माघ बिहू कहते है
मेजी नाम की झोपड़िया बांस पत्ती से सजाते है
इन झोपड़ियों में सब मिलकर
दावत का आयोजन करते है
मकर संक्रांति एक पर नाम अनेक
बिहार उप्र में चूड़ा दही का त्यौहार है
स्नान ध्यान और दान पुण्य इसकी व्याख्या हजार है
यूपी और बिहार में खिचड़ी का भी त्यौहार है
गुड़ तिलकुट खाकर ही करते नयी शुरुवात है
मकर संक्रांति एक पर नाम अनेक
राजस्थान में संक्रांति का
अपना अलग अंदाज है
सास को वस्त्र, आभूषण बायना देकर
बहुये लेती आशीर्वाद है
मकर संक्रांति एक पर नाम अनेक
बंगाल की चर्चा भी पुरे विश्व में विख्यात है
बंगाल की खाड़ी में गिरी गंगा भगीरत साथ है
इसके संगम में डुबकी लगाना महिमा अपरम पार है
मेला यहाँ लगता इस दिन, जिसका गंगा सागर नाम है
मकर संक्रांति एक पर नाम अनेक
महारास्ट्र में भी संक्रांति के दिन
महिलाये, सुहागन को सुहाग की चीजे भिजवाती है
ऐसा करके अपने घर में सुख समृद्धि लाती है
गुड़ के लड्डू खिलाके सबको गोड गोड बोला, कहती जाती है
मकर संक्रांति एक पर नाम अनेक
इसी तरह पुरे भारत में संक्राति मनाने का
अपना अलग अंदाज है
त्यौहार ये मनाते सभी
नाम अलग अलग विख्यात है
मकर संक्रांति एक पर नाम अनेक
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कवियत्री द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवियत्री ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।
कवियत्री: Saroj Bala Singh
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bahot sundar