राधा कृष्ण प्रेम कविता। राधा के श्री कृष्ण
वो वक्त कितना अच्छा था…
जब तू मेरा कृष्ण था…
जब से तूने द्वारका संभाला…
तूझे सिर्फ प्रजा दिखी…
तूझे सूदामा दिखे, पांडव दिखे…
ना दिखी तो बस मै…
मेरा वो इंतजार कि
कभी तू फुरसत मे आएगा
पुनः हे राधे कह बुलाएआ….
तुम्हे न्याय दिखा, जीत दिखी…
किन्तू मेरी कभी ना प्रीत दिखी…
कान्हा, प्रेयसी को प्रेम से कब मिलाएगा…
पुनः हे राधे कह
कब तू बुलाएगा….
है शिकायते बड़ी तुमसे कृष्ण…
अपनी व्यथा मैं बोल न पाई
थी समाज की अनेक बंधनें
किन्तु स्मरण तो बस तेरी आई…
नयनों को मेरी कब तू
अपनी छवि दिखलाएगा…
फिर से हे ! राधे कह
कब तू बुलाएगा…
कब तू बुलाएगा…
_____________________
कवयित्री द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवयित्री ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।
रचनाकार – नाम – शुभम सुगंध
पता – आरा (भोजपुर) , बिहार
इस कविता के बारे में अपने विचार comment करके हमें ज़रूर बताएं और अपने साथियों तक इसे अवश्य पहुंचाए ।
और हिंदी अंश को विजिट करते रहें।
ज़रूर पढ़े :
_________________
अपनी कविता प्रकाशित करवाएं
Mail us on – Hindiansh@gmail.com
marvellous💓👏
Very nice
Very nice didi ��
From Shreya and Saumya
Bhott pyaari ♥️
Very nice poem
Nice wah
😍
Thanks
😍
Thanks for your lovely word's 😍
Very nice poem