आत्मकथा निबंध हिंदी मे। atmakatha nibandh hindi.

आज हम आपके लिए लेकर आए हैं आत्मकथात्मक निबंध इस पोस्ट में आपके लिए अलग अलग आत्मकथा निबंध हिंदी में उपलब्ध करवाए गए हैं। इन आत्मकथा निबंध की सहायता से आप अलग अलग तरह की चीजों की आत्मकथा जान पाएंगे

Aatmakatha nibandh Hindi me
आत्मकथा निबंध


 पानी की एक बूंद की आत्मकथा पर निबंध

मैं एक बूंद हु। दिखने में काफी छोटी वह गोल – मटोल सी बहुत ही सुंदर आकर्षण ग्रहण किए हुये हु।
मुझे देखने वाला व्यक्ति यदि मुझे अपने मन की गहराइयों से समझे तो वह मेरी सुंदरता को अच्छे से भाप सकता है।
मेरी सुंदरता तब और बढ़ जाती है। जब मैं किसी नए प्रज्ज्वलित पत्ते पर या किसी फूल की पंखुड़ी पर ठहर जाऊं।
कभी-कभी मेरी सुंदरता इतनी तक बढ़ जाती है, कि देखने वालों की नजर मेरे ऊपर से हटती ही नहीं है।
सूर्य की किरणे मेरे उपर पड़ते ही मेरा एक अलग ही रूप देखने को मिलता है।
मेरा जन्म कहीं और नहीं बल्कि पृथ्वी पर ही प्राकृतिक तरीके से हुआ है। मैं पर्यावरण में मौजूद दो मुख्य तत्व हाइड्रोजन व ऑक्सीजन से मिलकर हुआ है।
हाइड्रोजन के दो अणु और……अधिक पढ़े
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पुस्तक की आत्मकथा पर निबंध

मैं पुस्तक हूं! क्या आप मुझे जानते हैं क्या आपने कभी मेरा उपयोग किया है। दरअसल मुझे लोग किताब के नाम से भी जानते हैं वैसे तो मुझे सभी अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए उपयोग करते हैं।

क्या आप मेरे बारे में सब कुछ जानते हैं चलिए आज मैं आपको अपनी आत्माकथा सुनाती हूं।

मेरा नाम पुस्तक है और लोग मुझे किताब कहकर भी पुकारते हैं। मेरे जन्म के बारे में कहूं तो अभी कुछ शताब्दियों पहले ही हुआ है अर्थात मुझे कुछ सैकड़ों वर्ष पहले ही बनाया गया है।

पहले लोग पांडुलिपि, पत्थरों पर गोदकर या ताड़ के पत्तों पर लिखा करते थे जो कि काफी कठिन व महंगा कार्य था। लेकिन फिर किसी ज्ञानी व्यक्ति ने कागज का आविष्कार किया। तत्पश्चात बदलते समय …… अधिक पढ़ें

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नदी की आत्मकथा पर निबंध

में नदी हुं, मुझे आप सभी जानते ही होंगे। और मुझे बड़ी प्यार से, मेरे विकराल रूप अथवा शांत स्वभाव दोनों को देखा ही होगा। कहीं ना कहीं मेरा यह अलग-अलग रूप इंसान की गलतियों के कारण ही हुआ है।
मेरे दूसरे नाम भी शायद आप जानते हैं ही होंगे। पर चलिए बताती हूं। मुझे लोग सरिता, वाहिनी, नद के नाम से भी जानते हैं। वैसे तो अब लोगों ने अपने अनुसार मेरे कई दूसरे नाम भी रख दिए है।
मेरा कोई निश्चित स्थान या रहने का स्थान नहीं है। जहां से में अपने आप को पूर्ण कर लेती हूं वही से चल देती हूं और अपने गंतव्य जिसका शुरुवात में मुझे भी पता नहीं रहता है वहां के लिए निकल पड़ती हूं।
आमतौर पर में ऊंचे ऊंचे पहाड़ों से छोटी छोटी सरिताओं के रूप में निकलती हूं और अपना धीरे-धीरे बड़ा रूप करते हुए ……  अधिक पढ़े
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पेन की आत्मकथा पर निबंध

मैं पेन हूं। आमतौर पर मुझे कलम भी कहते हैं। आपने मेरा उपयोग तो अवश्य किया ही होगा और करते भी होंगे। 

मेरा पहले कोई अस्तित्व नहीं था मुझे इंसानों द्वारा ही बनाया गया है। मैं आपका शुक्रिया अदा भी करूंगा कि आपने मुझे बनाया और इस दुनिया में मेरा अस्तित्व प्रदान किया।

शुरुआत में मुझे लकड़ी का बनाया गया था। जिसकी पतली नोक को स्याही में डुबोकर लिखा जाता था।

हां! मैं आपको अपना परिचय देना तो भूल ही गया था। मेरा उपयोग इंसान लिखने के लिए करता है। चाहे फिर वह विद्यार्थी, आम इंसान या दुनिया का सबसे अमीर आदमी ही……  अधिक पढ़े

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पेड़ की आत्मकथा पर निबंध

मैं एक पेड़ हूं। मुझे लोग वृक्ष के नाम से भी जानते हैं। मैं सभी प्रकार के जीव जंतुओं के लिए इंसानों के लिए और इस वातावरण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हुँ।

मेरा जन्म एक बिज की सहायता से हुआ है। जो मेरे पूर्वजों के शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग था।

मैं धीरे-धीरे बड़ा हो रहा हूं। मेरे आस-पास कई अलग-अलग तरह के छोटे-बड़े साथी मौजूद हैं। मेरे शाखाए धीरे-धीरे अब बड़ा रूप लेती जा रही है। 

मैं दिखने में हरा भरा व बहुत ही आकर्षण कारी हूं। मैं सभी जीव जंतुओं, पक्षियों व इंसानों का प्रिय हु। मेरे ऐसे कई काम हैं। जिनके कारण में हर तरह के जीव के लिए पसंदीदा हु।

में कड़ाके की गर्मी में लोगों को छांव प्रदान करता हूं। तपती धूप में हर तरह का जीव देखकर खुशी से… Read more

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 एक घायल सैनिक की आत्मकथा निबंध

मैं एक घायल सैनिक हूं। बाहर से हमला करने वाले कुछ आतंकवादियों द्वारा में घायल हो चुका हूं। हां मेरे दूसरे साथियों वह हमारे प्रयास से हमने उन्हें अपने प्लान में कामयाब तो नहीं होने दिया। लेकिन लंबी देर तक चली इस जंग में, मैं और मेरे कुछ साथी घायल हो गए हैं।

सीमा पर हम सभी अपने स्थानों पर तैनात थे। मजाक मस्ती चल रही थी। और हम सभी खुला आसमान का आनंद उठा रहे थे। अचानक से मुझे दूर झाड़ियों के पीछे कुछ हलचल दिखाई दी। एक सैनिक होने के नाते में किसी भी स्थिति को ऐसे सामान्य नहीं मान सकता था। मैंने तुरंत अपने साथियों को इससे अवगत कराया।

कुछ समय पश्चात जहां एक व्यक्ति दिखा था वहां इससे पहले कि हम हमला करते सामने से 8-10 लोगों ने हमला बोल दिया। इधर हमने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने गोला बारूद का प्रयोग किया और वे हमें मार कर देश की सीमा में घुसना चाहते थे।

कुछ समय तक लड़ाई चली और मैंने तथा मेरे जांबाज साथियों ने मिलकर उन्हें रौंद दिया। इस दौरान उनकी एक गोली मुझे भी लगी और मैं….. अधिक पढ़ें 

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एक फूल की आत्मकथा पर निबंध

मैं फुल हूं। मुझे अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नाम से जाना जाता है। मुझे अलग-अलग प्रजातियों में अलग अलग नाम से जाना व पहचाना जाता है। मुझे सिर्फ इस वातावरण की, प्रकृति की अथवा हर किसी कि सुंदरता बढ़ाने के लिए ही बनाया गया है।

मैं पेड़ पर लगता हूं। और एक पेड़ झाड़ की सुंदरता को बढ़ाता हु। मैं मुख्यत फल के उत्पादन के लिए जिम्मेदार हूं। यदि किसी पेड़ पर मेरा जन्म ना हो तो वहां फल का आना भी असंभव है।

मैं पहले एक बंद कली के रूप में झाड़ की टहनियों से निकलता हूं। फिर धीरे-धीरे अपनी कली को बड़ा करता हूं। मैं सूर्य की किरणों की उपस्थिति में ही खिलता हूं। ताजा-ताजा खिलते देख मेरी और हर कोई मोहित हो जाता है। खिलते ही वातावरण में मैं अपनी छटाए बिखरने लगता हूं।

मेरे खिलते ही वातावरण में एक अलग ही सुगंध की लहर दौड़ जाती हैं। छोटी-छोटी तितलियां मेरे ऊपर अधिक लगती है। मधुमक्खियों को मेरे शहद बहुत पसंद होता है। मेरी पंखुड़ियों के खिलते ही….. अधिक पढ़े

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भूमिपुत्र की आत्मकथा 

मैं किसान हूं। मुझे कृषक, अन्नदाता व कई दूसरे और नामों से जाना जाता है। मैं इस धरती, जमीन का सेवक हूं और इसी को अपना सबकुछ मानता हूं।

मैं इस प्यारी सी धरती के लिए उसके पुत्र के समान हूं। इसलिए मुझे भूमिपुत्र भी कहां जाता हैं

अपनी पूरी मेहनत के साथ सबसे पहले हल की सहायता से जमीन जोतता हूं। और इस पवित्र माटी को फसल के लिए तैयार करता हूं।

वर्षा ऋतु में बड़े ही लगन के साथ अपनी फसल बोता हूं और फिर सालभर इसकी रक्षा करता हूं। अधिक बारिश की समस्या सूखे से बचाकर जंगली जानवरों से बचाकर इसे तैयार करता हूं।

मैं किसान पुत्र हूं। सालभर मेहनत करने के पश्चात पूरे राष्ट्र के लिए अन्ना का प्रबंध करता हूं। मुझे लगता है मेरा जन्म लोगों की…..  अधिक पढ़ें

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  • बाइसिकल की आत्मकथा 

मैं साइकिल हूं। मुझे बाइसिकल के नाम से भी जाना जाता है मैं कंपनी में तैयार होती हूं। जिसे ही मेरा घर भी कहा जा सकता है।

सामान्यतः में लोहे से  बनी हूं जिसकी सहायता से पहले अलग-अलग भागों को बनाया गया और फिर इन्हें जोड़कर मुझे तैयार किया गया है।

मैं बच्चों को बहुत भाँती हूं। जैसे ही कोई बच्चा समझ पकड़ता है वह मुझे पाने की जिद करने लगता है। मुझे चलाकर बच्चों द्वारा अपना मनोरंजन किया जाता है। बड़े चाव से मेरे ऊपर बैठते हैं और फिर मुझे पेडल की सहायता से चलाते हैं।

बच्चों के अलावा में बड़ों को भी बहुत भाँती हूं। मेरा उपयोग किसी जगह जल्दी पहुंचने के लिए करते हैं या अपने किसी सामान को ढोने के लिए भी मेरा उपयोग किया जाता है।

मैं नटखट हूं। मेरा पूरा शरीर दो गोल मटोल….. अधिक पढ़ें

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तो दोस्तो यह आपके लिए हमने बहुत सारे आत्मकथा पर निबंध हिन्दि मे उपलब्ध करवा दिए हैं यहां आपको हर निबंध अधूरा मिलेगा लेकिन अधिक पढ़े पर क्लिक करके आप किसी भी आत्मकथा को पूरा पढ़ सकते हैं।

अतः इस निबन्ध को आप अपने हर दोस्त तक पहुंचाने का कष्ठ करें।

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